Wednesday, January 28, 2009

29Jan2009

मकानमालिक, संता के काम से बहुत खुश था। मकान की पुताई खत्म करने के बाद जब संता मालिक के पास मजदूरी के लिए आया तो मकान मालिक ने कहा, "तुमने बहुत अच्छी पुताई की है। यह लो तुम्हारी मजदूरी और यह 500 रुपए अलग से। पत्नी को बाहर खाने पर ले जाओ।"

संता ने हिचकिचाते हुए कहा, "नहीं सरकार यह कैसे होगा। यह मैं नहीं कर सकता।"

"मैं कहता हूं न। ऐसा करने से मुझे अच्छा लगेगा।"

कुछ सोच कर उसने कहा, "ठीक है आपकी खुशी के लिए मैं यह कर लूंगा।"

उस रात मकानमालिक के दरवाजे की घंटी बजी। उसने दरवाजा खोला तो संता को हाथ में फूलों के गुलदस्ते के साथ खड़ा पाया। उसने सोचा संता कुछ भूल गया है, वही लेने आया है।
"कुछ छूट गया है?"
संता ने कहा, "नहीं। आपने ही तो कहा था हुजूर, सो आपकी पत्नी को लेने आया हूं।"

No comments: